मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 25- 26 जुलाई से स्कूल खोलने का एलान कर दिया है, लेकिन क्या हम इसके लिए तैयार हैं? तीसरी लहर को लेकर वैज्ञानिक लगभग कन्फर्म हैं। अस्पतालों में इंतजाम शुरू हो चुके हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार का फैसला कितना सही है? आइए 5 कारणों से समझते हैं, जमीनी हकीकत को... आखिर कितना सेफ होगा, आपके बच्चों को स्कूल भेजना!
1. दूसरी लहर की तबाही
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश के लोग बेकाबू हालातों को देख चुके हैं। इस कारण मध्यप्रदेश में अब तक 10 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। तो दूसरी तरफ एक्टिव केस भी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। देश में पॉजिटिव केसेस की बात करें तो अब भी औसतन 40 हजार से अधिक मामले रोज मिल रहे हैं। ऐसे में हम दावा नहीं कर सकते कि बच्चों को स्कूल भेजना कितना सुरक्षित हो सकता है।
2. कमजोर वैक्सीनेशन
लोगों को वैक्सीन से सुरक्षा तो मिल रही है, लेकिन अब तक सभी को वैक्सीन भी नहीं लग पाई है? विदेशों में तो 50% वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, जबकि भारत में सिर्फ 5% आबादी ही दोनों डोज से वैक्सिनेटेड हैं। भारत में सिर्फ 38 करोड़ डोज लग सके हैं। आबादी से अनुमान लगाएं तो यह महज 22 फीसदी है। हालांकि हर दिन लगभग 35 लाख डोज लग रहे हैं। अगर इसी रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन होता रहा तब भी आधी आबादी को वैक्सीनेट करने में महीने लग जाएंगे।
3. खतरनाक होता म्युटेशन
कोरोना वायरस म्युटेट होकर लगातार अलग- अलग वैरिएंट में सामने आ रहा है। डेल्टा प्लस समेत अन्य वैरिएंट्स से समस्या बढ़ गई है। डेल्टा वैरिएंट 100 से ज्यादा देशों में फैला है। अमेरिका में 80% नए केस डेल्टा के हैं। साथ ही लैम्ब्डा वैरिएंट भी 31 देशों में पहुंच चुका है। स्टडीज में पाया गया है कि नए वैरिएंट ओरिजिनल स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा संक्रामक हैं और वैक्सीन के असर को भी कम कर रहे हैं।
4. लॉकडाउन ढीला, लोग लापरवाह
लॉक डाउन में राहत मिलते ही लोग बेपरवाह हो रहे हैं। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय को लगभग नाराज होते हुए चेताना पड़ा था कि लोग लॉक डाउन में मिल रही राहत को बेहद कैज्युअली ले रहे हैं। ऐसे में तीसरी लहर को कैसे रोक सकेंगे। लोगों की लापरवाही को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी देश के लोगों को चेता चुके हैं। प्रधानमंत्री ने 'बहुरूपिया' कोरोना के हर वैरिएंट पर नजर रखने की बात कही है।
5. तीसरी लहर की आशंका
महामारी लहरों में आती है ये हम सभी जान चुके हैं। दूसरी लहर का खत्म होना राहत की बात है, लेकिन इसके बाद तीसरी लहर भी आने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना था कि अगस्त तक तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन हालातों और लापरवाही को देखकर कोरोना के जुलाई में ही आने की आशंका है। आईएमए ने केंद्र और राज्य सरकारों से कम से कम तीन महीने के लिए कोरोना गाइड लाइंस को सख्ती से लागू करने की अपील की है। बड़ी चिंता ये भी है कि तीसरी लहर का असर सबसे ज्यादा बच्चों को होने की ही आशंका जताई जा रही है।